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Kavitayen, Poems, (कविता संग्रह आह्वान की कुछ कविताएँ)

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Ahwaan

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May You Like – विडियो – क़हानी पतंग                  

प्यार

प्यार बंधन है, विश्वास है।

या सिर्फ अहसास है……?

जिसके लिए ये बंधन है,

वह जीते जी मर जाता है।

जिसके लिए विश्वास है,

वह मरकर भी जी जाता है

और जिसके लिए अहसास है।

वह अधमरा ही रह जाता है।

ज़िंदगी पूर्ण रूप से जीनी हो तो

बंधन, विश्वास और अहसास

तीनों को अपनाना होगा।

बंधन, विश्वास और अहसास

यही प्यार की परिभाषा है।

प्यार रिश्तों का नाम नहीं है

प्यार रिश्तों से नहीं है

रिश्ते प्यार से हैं।

प्यार को समझो तो

ये इक समंदर हैं

जिसमें डूबकर ही आनंद आता है

और इसका अहसास ना हो तो

रेगिस्तान नज़र आता है।

प्यार वो अनमोल मोती है

जो नज़र नहीं आता

महसूस किया जाता है।

प्यार महसूस करने की

क्षमता ना हो तो

ये पत्थर बन जाता है।

प्यार वो दौलत है

जो खर्च करने से

बाँटने से बढ़ती है

और ना बाँटों तो

स्वयं को भी खोखला कर जाती है।

रिश्ते ना होते हुए भी प्यार हो

तो जीवन सार्थक हो जाता है।

कुछ पाना प्यार नहीं है

प्यार तो देने का नाम है

प्यार कोई शर्त नहीं है कि

आप प्यार के बदले प्यार ही पाएँ ।

प्यार के बदले प्यार ही मिले

ये ज़रूरी भी नहीं।

जब भी –

किसी को प्यार दें तों

बिना किसी शर्त के दें,

इस आशा के बिना दें

कि बदलें में प्यार ही मिलेगा।

प्यार लिया नहीं जाता

दिया जाता है।

प्यार समेटा नहीं जाता

बाँट दिया जाता है।

प्यार वो बंधन है

जिसमें बंधकर –

दिल को सुकुन आता हैं

प्यार विश्वास है

जिसमें –

सब कुछ लुटाकर भी

बहुत कुछ मिल जाता है।

प्यार अहसास है

जो अपने साथ औरों के

दिलों को भी धड़काता है।

 

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          प्रेरणा       

      प्रेरणा एक शक्ति है,

       एक ऐसी शक्ति

      जो देती है आभास

    उन्नति का, सफलता का।

   खोलती है हज़ारों बंद द्वार

     जीवन में आगे बढ़ने के।

     प्रेरणा जहाँ से भी मिले

       जिस रूप में मिले

        ले लेनी चाहिए।

        प्रेरणा मिलती है –

     कभी किसी के प्यार से

     कभी किसी के साथ से

    रूप से, सौंदर्य से, गंध से

        जहाँ से मिले

    चुपचाप ले लेनी चाहिए।

     बस शर्त इतनी है कि

  शुद्ध मन हो, शांत वातावरण हो,

     न क्रोध हो, न आक्रोष

      न ईर्ष्या हो, न द्वेश

 बस इच्छा हो जीवन में आगे बढ़ने की।

         कुछ पाने की,

      ऊॅंचाईयों को छूने की,

 सफलता के उन्मुक्त, स्वच्छंद गगन में

       विचरण करने की ।

      प्रेरणा एक क्ति है,

       एक ऐसी क्ति

      जो देती है आभास

    उन्नति का, सफलता का।

 

  

    माँ का आँचल

 तुम्हारा आँचल इतना बड़ा हो, 

कि हम सब उसमें समा जाएँ।

हमारे प्यार का सागर,

इतना गहरा हो कि –

तुम उसमें डूबकर निकल ना पाओ।

तुम फूल हो तो –

हम तुम्हारी सुगंध फैलाएँ।

तुम सागर हो तो,

हम लहरें बनकर –

भटके हुओं को राह दिखलाएँ।

तुम आकाश हो तो हम

तारे बनकर बिखर जाएँ।

तुम चाँद हो तो –

हम चाँदनी बनकर,

तुम्हारी चाँदनी फैलाएँ।

तुम बादल हो तो –

हम बारिश बनकर

तुम्हारा प्यार बरसाएँ।

तुम वीणा हो तो –

हम उसके तार बनकर,

मधुर संगीत बन जाएँ।

तुम्हारा आँचल इतना बड़ा हो, 

कि हम सब उसमें समा जाएँ।

हमारे प्यार का सागर,

इतना गहरा हो कि –

तुम उसमें डूबकर निकल ना पाओ।

 

 

         कल्पना

       तुम कल्पना हो

    तुम्हारी मौन आँखों में

  विश्वास देखना चाहती हूँ।

विश्वास, स्वच्छंद, निर्मल विश्वास

  क्या मिलेगा ऐसा विश्वास

 तुम कल्पना हो, मधुर कल्पना

   भाग्य सागर की लहरों पर

 तुम्हारा साथ पाना चाहती हूँ

 साथ निर्द्वन्द्व, निश्छल साथ

  क्या मिलेगा ऐसा साथ

तुम कल्पना हो, स्वप्निल कल्पना

    आँसू की प्रत्येक बूँद में

तुम्हारा प्रतिबिम्ब देखना चाहती हूँ

प्रतिबिम्ब, साफ, स्पष्ट प्रतिबिम्ब

क्या दिखाई देगा ऐसा प्रतिबिम्ब

      तुम कल्पना हो

     एक मधुर कल्पना

    क्या यथार्थ बनकर –

    कभी सामने आओगी।

 

 

जीवन लक्ष्य

नही जानती कि …..

जीवन लक्ष्य क्या है?

उड़ान –

कितनी ऊॅंची है ?

पर यह जानती हूँ कि –

सार्थकता ऊॅंचे होने में नहीं है।

सार्थकता इस बात में है कि –

उस ऊॅंचाई पर

हमारे साथ कितने खड़े हैं

जो वास्तव में हमारे अपने हैं।

वो जो कोई रिश्ता ना होते हुए भी

हमसे, केवल हमसे बंधे हैं।

ऊँचाई पर खड़े होने में

कोई महानता नहीं है क्योकि –

सिर्फ ऊॅंचाई ही काफी नहीं है

ऊॅंचाई के साथ

गहराई भी ज़रुरी है

और गहराई के साथ –

संतुष्टि भी ज़रुरी है

और संतुष्टि

कहीं बिकती नहीं है।

बिकती होती तो –

आज सभी संतुष्ट होते।

वास्तव में ऊॅंचाई भी

इतनी ही हो कि

पाँव हमेशा ज़मीन पर ही रहें।

इसलिए –

ऊॅंची उड़ान अवश्य भरें

पर कुछ को साथ लें

कुछ के साथ बंधे,

कुछ का साथ दें

और

सबका साथ पाएँ ।

प्रकृति का नियम है-

जो औरों को दोगे,

वही लौटकर, हमारे पास आएगा।

प्यार दोगे तो –

प्यार ही लौटकर आएगा।

 

 

     बेटी

शानों

हो नटखट तुम,

चंचल भी हो,

मुस्काओ तो कलियाँ चटकें।

गर हॅंस दो तो –

चूड़ी खनके।

पायल की मधुर झंकार हो तुम।

ठंडी मंद बयार हां तुम।

नटखट, अलबेली तितली हो।

दिन में भी सपने बुनती हो।

काले मेघ बसा नयनों में,

नदिया सी लहराती हो।

फुदक- फुदक कर,

डाल-डाल पर

इतराती, इठलाती हो।

खुले नयन का ख्वाब हो तुम।

आँगन की सोन चिरैया हो।

फूलों की महक,

चिड़ियों की चहक,

भॅंवरों का गुंजन,

स्वपनिल स्पंदन,

जादू की छड़ी,

तारों की लड़ी,

उर उपवन का कलरव हो।

शुचि- सुधा संचित

चंचल चितवन,

अमृत की पूरी गागर हो।

मधु कोष में संचित

उर का मीठा नाद हो तुम।

 

 

तुम्हारा आँचल

तुम आई

जैसे आसमान से हज़ारों तारे

मेरे छोटे से आँगन में उतर आए।

तुम्हारा विश्वास –

जैसे मेरे जीवन के आँगन पर

तना एक मज़बूत चंदोवा

जो मुझे अकेलेपन की

परेशानियों की आँधी से बचाता है।

प्यार, तुम्हारा प्यार

मेरे जीवन की हलचल को

एक ठहराव

एक आश्रय सा दे जाता है।

अहसास, तुम्हारे प्यार

और विश्वास का अहसास,

जैसे बिना रिश्तों की, बिना छत की,

एक मज़बूत इमारत,

जो जीने के हज़ारों रास्ते,

हज़ारों मकसद दे जाती है।

तुम्हारे सिमटे हुए आँचल से,

हज़ारों तारे

झरते हुए नज़र आते हैं।

मन चाहता है

तुम्हारे आँचल का

सिर्फ एक कोना ही मिल जाए।

आँचल से झरते हुए सितारों से

सिर्फ एक तारा-

मेरी मुट्ठी में आ जाए।

तुम्हारे स्नेहिल स्पर्श में

पूरा संसार समाया नज़र आता है।

तुम्हारे उस स्नेहिल स्पर्श को

पाना चाहती हूँ

अपनी मुट्ठी में कैद करना चाहती हूँ

आज वो स्नेहिल स्पर्श मिला

तो अपनी हथेली को

हमेशा के लिए

कसकर बंद कर लिया मैंने।

 

 

 

           दुआ

दुआओं की भीड़ में

एक दुआ है मेरी।

मिल जाए तुमको वो सब

चाहा है तुमने जो भी।

खुशियों के स्वर्णिम फूल खिलें

और आशाओं के तारे चमकें

सूरज की किरणों सा

घर आँगन सब दमके।

स्नेह के बादल छा जाएँ।

और प्यार की बूँदें बरसा बरसाएँ ।

जिस पथ पर भी

तुम चलना चाहो

हर ओर उजाला छा जाए।

क़ाँटे भी उस पथ के

फूलों से बनकर बिछ जाएँ।

मेरे हिस्से की खुशियाँ भी

जीवन में तुम्हारे आ जाएँ।

जिस राह गुज़र जाओ तुम

वो चंदन वन सी महकाओ।

हर ओर तुम्हारी ही खुशबू

विश्वास की भाँति छा जाए।

ये सिर्फ शब्द नहीं हैं

है प्यार मेरा, विश्वास मेरा

इस प्यार और विश्वास में

लिपटा है संसार मेरा।

 

 

 

      चाह

 

जिंदगी बनकर

आ जाना कभी मेरे आँगन में

सजाऊॅंगी, संवाँरूँगी

ख्वाबों से तुम्हें।

पलकों से समेटूँगी

राहों में बिछे सारे क़ाँटे।

फूल ही फूल पाओगी

मेरे आँगन में।

जिंदगी बनकर

आ जाना कभी मेरे आँगन में

सजाऊॅंगी, संवाँरूँगी

ख्वाबों से तुम्हें।

फूलों सी महकाऊॅंगी

जीवन की बगिया।

गगन के तारों से भर दूँ गी

तुम्हारा आँचल।

प्यार की रेशम से

गूँथूँगी तुम्हारी चोटी।

मीठी मुस्कुराहट की

पहनाऊॅंगी सुनहरी चूड़ियाँ।

चाँद की बिंदिया लगाऊॅंगी

तुम्हारे माथे पर।

जिंदगी बनकर

आ जाना कभी मेरे आँगन में

प्यार के हज़ारों रंगों से

सजाऊॅंगी, सवाँरूँगी तुम्हे।

 

 

 

       तुम

 

बादल में चमकती

चंचल बिजली

सागर पर बल खाती

लहरों सी

हरे – हरे कोमल पातों पर

ओस की पहली –

बूँद हो तुम।

अधरों पर सिमटी

जैसे मुस्कान

नयनों में रूका

कोई आँसू हो।

चाहकर भी

कोई ना कह पाए।

वो अनकही

अनसुनी

बात हो तुम।

 

 

 

 

     असर

 

तुम्हारे प्यार से

खिल जाते हैं

खुशियों के हज़ारों कमल

छा जाता है

पतझड़ में भी वसंत

तुम मानों या न मानों

ये सच हे कि

तुमहारे प्यार की किरणें पाकर

बेरंग ज़िंदगी भी

पा लेती है हज़ारों रंग।

तुम्हारी नाराज़गी, तुम्हारे गुस्से,

तुम्हारी बेरुखी

में भी है इतनी ताकत

खींच सकती है

ज़िंदगी की साँसे भी।

खिलते हुए फूल

मुरझा जाएँ कभी

वसंत में भी छा जाए

पतझड़ कभी

ज़िंदगी रुक जाए

कहीं बेरंग होकर

तो समझ लेना कि –

ये है तुम्हारी नाराज़गी,

तुम्हारी बेरुखी का असर।

 

 

     जीवन पथ

 

जीवन के अनजाने पथ पर

तुमने जो दिया

और मैंने पाया

उस सबका कोई

मोल नहीं।

अस्थिर अनजाने

जीवन पथ पर

मिल जाए साथ

तुम्हारे जैसा

तो जीना आसाँ

हो जाता है।

जीवन पथ पर

चलते – चलते

साँसे थककर चूर हुई।

तुम्हारे प्यार भरे

दो षब्दों से

जीवन की थकावट दूर हुई।

कुछ साथ रहे

कुछ बिछड़ गए।

पर यादें सबकी

सब याद रहीं।

आभारी हूँ मैं उनकी भी

जो साथ कभी ना दे पाए,

जीवन के अनजाने पथ पर

तुमने जो दिया

और मैंने पाया

उस सबका कोई

मोल नहीं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  

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